'अमीर' जाते हो बुत-ख़ाने की ज़ियारत को By Sher << चार झोंके जब चले ठंडे चमन... उँगलियाँ घिस गईं याँ हाथो... >> 'अमीर' जाते हो बुत-ख़ाने की ज़ियारत को पड़ेगा राह में का'बा सलाम कर लेना Share on: