अंदर के हादसों पे किसी की नज़र नहीं By Sher << औरतें काम पे निकली थीं बद... ऐ सदफ़ सुन तुझे फिर याद द... >> अंदर के हादसों पे किसी की नज़र नहीं हम मर चुके हैं और हमें इस की ख़बर नहीं Share on: