'अंजुम' तुम्हारा शहर जिधर है उसी तरफ़ By Sher << कोई ऐसी दवा दे चारा-गर जैसे रेल की हर खिड़की की ... >> 'अंजुम' तुम्हारा शहर जिधर है उसी तरफ़ इक रेल जा रही थी कि तुम याद आ गए Share on: