आशियानों में न जब लौटे परिंदे तो 'सदीद' By Sher << जब फ़स्ल-ए-बहाराँ आती है ... इस दिल को किसी दस्त-ए-अदा... >> आशियानों में न जब लौटे परिंदे तो 'सदीद' दूर तक तकती रहीं शाख़ों में आँखें सुब्ह तक Share on: