इस दिल को किसी दस्त-ए-अदा-संज में रखना By Sher << आशियानों में न जब लौटे पर... अय्याम के ग़ुबार से निकला... >> इस दिल को किसी दस्त-ए-अदा-संज में रखना मुमकिन है ये मीज़ान-ए-कम-ओ-बेश जला दे Share on: