सुकून क़ल्ब को जिस से मिल जाए 'ताबाँ' By Sher << दिल कभी ख़्वाब के पीछे कभ... जिस दिन से अपना तर्ज़-ए-फ... >> सुकून क़ल्ब को जिस से मिल जाए 'ताबाँ' ग़ज़ल कोई ऐसी सुना दीजिएगा Share on: