अपने दराज़-क़द पे बहुत नाज़ था जिन्हें By Sher << आफ़त हमारी जान को है बे-क... जो मिला तोड़ता गया उस को >> अपने दराज़-क़द पे बहुत नाज़ था जिन्हें वो पेड़ आँधियों में ज़मीं से उखड़ गए Share on: