अपने दिए को चाँद बताने के वास्ते By Sher << दिल को ग़म रास है यूँ गुल... रहे याँ गर्दिश और जामा-दर... >> अपने दिए को चाँद बताने के वास्ते बस्ती का हर चराग़ बुझाना पड़ा हमें Share on: