दिल को ग़म रास है यूँ गुल को सबा हो जैसे By Sher << दैर ओ काबा में भटकते फिर ... अपने दिए को चाँद बताने के... >> दिल को ग़म रास है यूँ गुल को सबा हो जैसे अब तो ये दर्द की सूरत ही दवा हो जैसे Share on: