अपनी बीती न कहूँ तेरी कहानी न कहूँ By Sher << बहकी बहकी निगह-ए-नाज़ ख़ु... अहल-ए-महशर देख लूँ क़ातिल... >> अपनी बीती न कहूँ तेरी कहानी न कहूँ फिर मज़ा काहे से पैदा करूँ अफ़्साने में Share on: