अपनी मर्ज़ी तो ये है बंदा-ए-बुत हो रहिए By Sher << अब मैं हुदूद-ए-होश-ओ-ख़िर... आठों पहर लहू में नहाया कर... >> अपनी मर्ज़ी तो ये है बंदा-ए-बुत हो रहिए आगे मर्ज़ी है ख़ुदा की सो ख़ुदा ही जाने Share on: