अपना ही हाल तक न खुला मुझ को ता-ब-मर्ग By Sher << कहा आशिक़ से वाक़िफ़ हो त... वस्ल की शब थी और उजाले कर... >> अपना ही हाल तक न खुला मुझ को ता-ब-मर्ग मैं कौन हूँ कहाँ से चला था कहाँ गया Share on: