अपने ही अक्स को पानी में कहाँ तक देखूँ By Sher << मुंतज़िर तेरे हैं चश्म-ए-... सनम-ख़ाना जाता हूँ तू मुझ... >> अपने ही अक्स को पानी में कहाँ तक देखूँ हिज्र की शाम है कोई तो लब-ए-जू आए Share on: