मुंतज़िर तेरे हैं चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ खोले हुए By Sher << 'क़मर' अपने दाग़-... अपने ही अक्स को पानी में ... >> मुंतज़िर तेरे हैं चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ खोले हुए बैठे हैं दिल बेचने वाले दुकाँ खोले हुए Share on: