अपने जीने के हम अस्बाब दिखाते हैं तुम्हें By Sher << अब मुझे कौन जीत सकता है ग़ैब का ऐसा परिंदा है ज़म... >> अपने जीने के हम अस्बाब दिखाते हैं तुम्हें दोस्तो आओ कि कुछ ख़्वाब दिखाते हैं तुम्हें Share on: