ग़ैब का ऐसा परिंदा है ज़मीं पर इंसाँ By Sher << अपने जीने के हम अस्बाब दि... तू ने मुझ को बना दिया इंस... >> ग़ैब का ऐसा परिंदा है ज़मीं पर इंसाँ आसमानों को जो शह-पर पे उठाए हुए है Share on: