अपने लिए भी कोई रिआयत रवा नहीं By Sher << मुफ़लिसों की बस्ती को बेक... कोई भी शक्ल मुकम्मल किताब... >> अपने लिए भी कोई रिआयत रवा नहीं इस मुंसिफ़ी की ख़ू ने तो सफ़्फ़ाक कर दिया Share on: