अपनी ही निगाहों का ये नज़्ज़ारा कहाँ तक By Sher << एक जंगल जिस में इंसाँ को ... छत से कुछ क़हक़हे अभी तक >> अपनी ही निगाहों का ये नज़्ज़ारा कहाँ तक इस मरहला-ए-सई-ए-तमाशा से गुज़र जा Share on: