अपनी ख़ुद्दारी सलामत दिल का आलम कुछ सही By Sher << बहार-ए-गुलिस्ताँ हम को न ... आज भी है वही मक़ाम आज भी ... >> अपनी ख़ुद्दारी सलामत दिल का आलम कुछ सही जिस जगह से उठ चुके हैं उस जगह फिर जाएँ क्या Share on: