जमे क्या पाँव मेरे ख़ाना-ए-दिल में क़नाअ'त का By Sher << काबे से खींच लाया हम को स... जब हुआ गर्म-ए-कलाम-ए-मुख़... >> जमे क्या पाँव मेरे ख़ाना-ए-दिल में क़नाअ'त का जिगर में चुटकियाँ लेता है नाख़ुन दस्त-ए-हाजत का Share on: