हर टूटे हुए दिल की ढारस है तिरा वअ'दा By Sher << अब ग़र्क़ हूँ मैं आठ पहर ... थक के बैठे हो दर-ए-सौम... >> हर टूटे हुए दिल की ढारस है तिरा वअ'दा जुड़ते हैं इसी मय से दरके हुए पैमाने Share on: