'असग़र' हरीम-ए-इश्क़ में हस्ती ही जुर्म है By Sher << किरनों को वो बाज़ार में ब... इंसान बे-हिसी से है पत्थर... >> 'असग़र' हरीम-ए-इश्क़ में हस्ती ही जुर्म है रखना कभी न पाँव यहाँ सर लिए हुए Share on: