'अशहर' कहीं क़रीब ही तारीक ग़ार है By Sher << अंधेरे में तजस्सुस का तक़... हमीं ने रास्तों की ख़ाक छ... >> 'अशहर' कहीं क़रीब ही तारीक ग़ार है जुगनू की रौशनी को वहीं चल के छोड़ दें Share on: