अश्क बहने लग गए मंज़र निखरने लग गया By Sher << बात कुछ यूँ है कि कल रात ... ज़ेहन पर ज़ोर भी डालो तो ... >> अश्क बहने लग गए मंज़र निखरने लग गया मैं तमाशा बन गया और एक खिड़की खुल गई Share on: