अश्क क़ाबू में नहीं राज़ छुपाऊँ क्यूँकर By Sher << ज़िंदगी हम तिरे कूचे में ... कुछ अपने साज़-ए-नफ़स की न... >> अश्क क़ाबू में नहीं राज़ छुपाऊँ क्यूँकर दुश्मनी मुझ से मिरे दीदा-ए-तर रखते हैं Share on: