ज़िंदगी हम तिरे कूचे में चले आए तो हैं By Sher << ग़म-ए-दौराँ ग़म-ए-जानाँ क... अश्क क़ाबू में नहीं राज़ ... >> ज़िंदगी हम तिरे कूचे में चले आए तो हैं तेरे कूचे की हवा हम से ख़फ़ा लगती है Share on: