अश्क-ए-ग़म ले के आख़िर किधर जाएँ हम आँसुओं की यहाँ कोई क़ीमत नहीं By Sher << उम्र जूँ जूँ बढ़ती है दिल... आशियाँ जल गया गुल्सिताँ ल... >> अश्क-ए-ग़म ले के आख़िर किधर जाएँ हम आँसुओं की यहाँ कोई क़ीमत नहीं आप ही अपना दामन बढ़ा दीजिए वर्ना मोती ज़मीं पर बिखर जाएँगे Share on: