आशियाँ जल गया गुल्सिताँ लुट गया हम क़फ़स से निकल कर किधर जाएँगे By Sher << अश्क-ए-ग़म ले के आख़िर कि... वक़्त इक ज़र्ब लगाए तो ग़... >> आशियाँ जल गया गुल्सिताँ लुट गया हम क़फ़स से निकल कर किधर जाएँगे इतने मानूस सय्याद से हो गए अब रिहाई मिलेगी तो मर जाएँगे Share on: