आज भी 'प्रेम' के और 'कृष्ण' के अफ़्साने हैं By Sher << आख़िर दुआ करें भी तो किस ... अहल-ए-हवस तो ख़ैर हवस में... >> आज भी 'प्रेम' के और 'कृष्ण' के अफ़्साने हैं आज भी वक़्त की जम्हूरी ज़बाँ है उर्दू Share on: