और एहसास-ए-जिहालत बढ़ गया By Sher << दर्द तो ज़ख़्म की पट्टी क... आह ये महकी हुई शामें ये ल... >> और एहसास-ए-जिहालत बढ़ गया किस क़दर पढ़ लिख के जाहिल हो गए Share on: