और फिर मोहब्बत में जी के मर के देखा है By Sher << वही है रंग मगर बू है कुछ ... तख़्लीक़ के पर्दे में सित... >> और फिर मोहब्बत में जी के मर के देखा है लोग सोचते हैं जो हम ने कर के देखा है Share on: