तख़्लीक़ के पर्दे में सितम टूट रहे हैं By Sher << और फिर मोहब्बत में जी के ... मिटा मिटा सा तसव्वुर है न... >> तख़्लीक़ के पर्दे में सितम टूट रहे हैं आज़र ही के हाथों से सनम टूट रहे हैं Share on: