कभी जन्नत कभी दोज़ख़ कभी का'बा कभी दैर By Sher << ख़ुद चले आओ या बुला भेजो झूटे वादों पर थी अपनी ज़ि... >> कभी जन्नत कभी दोज़ख़ कभी का'बा कभी दैर अजब अंदाज़ से ता'मीर हुआ ख़ाना-ए-दिल Share on: