झूटे वादों पर थी अपनी ज़िंदगी By Sher << कभी जन्नत कभी दोज़ख़ कभी ... जब से ज़ुल्फ़ों का पड़ा ह... >> झूटे वादों पर थी अपनी ज़िंदगी अब तो वो भी आसरा जाता रहा Share on: