शम्अ' बुझ कर रह गई परवाना जल कर रह गया By Sher << शीशा-ए-दिल को यूँ न उठाओ सबक़ आ के गोर-ए-ग़रीबाँ स... >> शम्अ' बुझ कर रह गई परवाना जल कर रह गया यादगार-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ इक दाग़ दिल पर रह गया Share on: