सबक़ आ के गोर-ए-ग़रीबाँ से ले लो By Sher << शम्अ' बुझ कर रह गई पर... क़त्ल और मुझ से सख़्त-जाँ... >> सबक़ आ के गोर-ए-ग़रीबाँ से ले लो ख़मोशी मुदर्रिस है इस अंजुमन में Share on: