बचा के आँख बिछड़ जाएँ उस से चुपके से By Sher << बदन में आग है रोग़न मिरे ... अब के मसरूफ़ियत-ए-इश्क़ ब... >> बचा के आँख बिछड़ जाएँ उस से चुपके से अभी तो अपनी तरफ़ ध्यान भी ज़ियादा नहीं Share on: