अब के मसरूफ़ियत-ए-इश्क़ बहुत है हम को By Sher << बचा के आँख बिछड़ जाएँ उस ... रोज़ ही पीना रोज़ पिलाना ... >> अब के मसरूफ़ियत-ए-इश्क़ बहुत है हम को तुम चले जाओ तो फ़ुर्सत से गुज़ारा कर लें Share on: