बदलती रहती हैं क़द्रें रहील-ए-वक़्त के साथ By Sher << हम को भी क्या क्या मज़े क... अश्क-बारी से ग़म-ओ-दर्द क... >> बदलती रहती हैं क़द्रें रहील-ए-वक़्त के साथ ज़माना बदलेगा हर शय का नाम बदलेगा Share on: