बदन की अंधी गली तो जा-ए-अमान ठहरी By Sher << बढ़ गई तुझ से मिल के तन्ह... जब से देखा है ख़्वाब में ... >> बदन की अंधी गली तो जा-ए-अमान ठहरी मैं अपने अंदर की रौशनी से डरा हुआ हूँ Share on: