बढ़ते बढ़ते आतिश-ए-रुख़्सार लौ देने लगी By Sher << सुनो समुंदर की शोख़ लहरो ... लोग क़िस्मत पे छोड़ देते ... >> बढ़ते बढ़ते आतिश-ए-रुख़्सार लौ देने लगी रफ़्ता रफ़्ता कान के मोती शरारे हो गए Share on: