बद-क़िस्मतों को गर हो मयस्सर शब-ए-विसाल By Sher << यही चराग़ है सब कुछ कि दि... रोती हुई एक भीड़ मिरे गिर... >> बद-क़िस्मतों को गर हो मयस्सर शब-ए-विसाल सूरज ग़ुरूब होते ही ज़ाहिर हो नूर-ए-सुब्ह Share on: