रोती हुई एक भीड़ मिरे गिर्द खड़ी थी By Sher << बद-क़िस्मतों को गर हो मयस... कुछ और कोई अब्र-ए-बहारी क... >> रोती हुई एक भीड़ मिरे गिर्द खड़ी थी शायद ये तमाशा मिरे हँसने के लिए था Share on: