बग़ैर पूछे मिरे सर में भर दिया मज़हब By Sher << बैठे-बैठे का सफ़र सिर्फ़ ... अब हवाओं के दाम खुलने हैं >> बग़ैर पूछे मिरे सर में भर दिया मज़हब मैं रोकता भी तो कैसे कि मैं तो बच्चा था Share on: