बैठे-बैठे का सफ़र सिर्फ़ है ख़्वाबों का फ़ुतूर By Sher << भुला दिया है जो तू ने तो ... बग़ैर पूछे मिरे सर में भर... >> बैठे-बैठे का सफ़र सिर्फ़ है ख़्वाबों का फ़ुतूर जिस्म दरवाज़े तक आए तो गली तक पहुँचे Share on: