बग़ैर-ए-जिस्म भी है जिस्म का एहसास ज़िंदा By Sher << बरताव इस तरह का रहे हर कि... हद्द-ए-गुमाँ से एक शख़्स ... >> बग़ैर-ए-जिस्म भी है जिस्म का एहसास ज़िंदा ये ख़ुशबू बाँटने वाली हवाएँ भी क़यामत Share on: