बनाया ऐ 'ज़फ़र' ख़ालिक़ ने कब इंसान से बेहतर By Sher << न कर शुमार कि हर शय गिनी ... अगरचे कहने को कल काएनात अ... >> बनाया ऐ 'ज़फ़र' ख़ालिक़ ने कब इंसान से बेहतर मलक को देव को जिन को परी को हूर ओ ग़िल्माँ को Share on: