अगरचे कहने को कल काएनात अपनी थी By Sher << बनाया ऐ 'ज़फ़र' ख... दरिया-ए-शराब उस ने बहाया ... >> अगरचे कहने को कल काएनात अपनी थी हक़ीक़तन कहाँ अपनी भी ज़ात अपनी थी Share on: