बहार हो कि मौज-ए-मय कि तब्अ की रवानियाँ By Sher << जो तेरे गुनह बख़्शेगा वाइ... लाज़िम है सोज़-ए-इश्क़ का... >> बहार हो कि मौज-ए-मय कि तब्अ की रवानियाँ जिधर से वो गुज़र गए उबल पड़ीं जवानियाँ Share on: