बहर-ए-हस्ती से कूच है दरपेश By Sher << जान है तो जहान है दिल है ... इस अँधेरे में न इक गाम भी... >> बहर-ए-हस्ती से कूच है दरपेश याद मंसूबा-ए-हुबाब रहे Share on: